ग़ज़ल कैसे लिखते हैं? – सबक २ | ग़ज़ल कैसे लिखें | ग़ज़ल लिखना सीखें

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पिछले ब्लॉग में हम ने उर्दू काव्य शास्त्र से संबंधित कुछ बुनियादी शब्दों को जाना; अब मैं ये मान के चलता हूँ कि पिछले पाठ में सिखाई बुनियादी बातों को आप समझ चुके हैं। तो आगे बढ़ते हुए मैं आज ‘ग़ज़ल’ और ‘बहर’ पर चर्चा करूँगा, तो चलिए देखते हैं ‘ग़ज़ल’ क्या है और इसमें ‘बहर’ के क्या मायने हैं– “एक ही बहर, रदीफ़ और हम-क़ाफ़िया के साथ लिखे अश'आर (शेर का बहुवचन) का समूह ही ग़ज़ल है।” *रदीफ़ और क़ाफ़िया को हम पिछले पाठ में समझ चुके हैं। *बहर को समझने के लिए चलिए पहले ग़ज़ल से जुड़ी कुछ बुनियादी बातें/शर्तें  देख लेते हैं जिन्हें तरतीब से मिलाकर ग़ज़ल तैयार होती है– 1.) मतला : ये ग़ज़ल का पहला शेर होता है। इसकी ख़ासियत ये है कि इसके दोनों मिसरों(दोनों पंक्तियों) में रदीफ़ और क़ाफ़िया होता है। ‘मतला’ के बाद आने वाले सभी शेर में सिर्फ दूसरी पंक्ति में ही रदीफ़ और क़ाफ़िया होते हैं। उदाहरण से समझें– मैं चाहता हूँ कि दिल में तिरा ख़याल न हो अजब नहीं कि मिरी ज़िंदगी वबाल न हो मैं चाहता हूँ तू यक-दम ही छोड़ जाए मुझे ये हर घड़ी तिरे जाने का एहतिमाल न हो शायर : जव्वाद शैख *इसमें "न हो"...

Maut ka saman | मौत का सामान | Lekhak Suyash

मौत का सामान

इश्क प्यार मुहब्बत तक तो ठीक था 
तुम तो मेरी जान होते जा रहे हो , 
चलो जान तक भी ठीक था 
तुम तो मेरी मौत का सामान होते जा रहे हो ! 

ज़रूरी नहीं कि मेरी हर बात ठीक हो 
कभी मुझे भी डाँटा करो , 
ज़रूरी नहीं कि तुम हर बार ग़लत हो 
कुछ ख़ुद की भी कहा करो , 
तुम तो बेवजह - 
मुझ क़ाफ़िर को भगवान किए जा रहे हो , 
तुम तो मेरी मौत का सामान होते जा रहे हो ! 

मेरी फिक़र थोड़ी कम किया करो 
मैं बेफिक़रा होता जा रहा हूँ , 
मेरी हर बात को मत सुना करो 
मैं वाचाल होता जा रहा हूँ , 
साहब ! मेरी बेफिक़रियों का पैग़ाम होते जा रहे हो , 
तुम तो मेरी मौत का सामान होते जा रहे हो ! 

ख़ुद की ग़लती पर भी तुम पर चिल्लाता हूँ 
छोटी सी बात पर भी तुमको सताता हूँ 
फिर भी तुम चुप रहते हो , 
क्यों आख़िर क्यों - 
तुम इतने महान होते जा रहे हो ? 
तुम तो मेरी मौत का सामान होते जा रहे हो ! 

मैं तो ख़ुद भी ख़ुद के हक में इतना नहीं रहा  
और तुम मेरे हक में पढ़ते हो अपनी हर दुआ , 
तुम तो शिफारिशों से भरा 
मेरे हक में जारी हुआ - 
ख़ुदा का फ़रमान होते जा रहे हो , 
तुम तो मेरी मौत का सामान होते जा रहे हो ! 

हर बात में अब तुम ही तुम होते हो 
हर एहसास में अब तुम ही तुम होते हो , 
ज़नाब ! ज़रा गौर करो - 
'लेखक सुयश' की पंक्तियों का 
तकिया क़लाम होते जा रहे हो , 
तुम तो मेरी मौत का सामान होते जा रहे हो ! 
--- Lekhak Suyash



#Poetry_Of_Suyash
                                                                         

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