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Showing posts from December, 2021

ग़ज़ल कैसे लिखते हैं? – सबक २ | ग़ज़ल कैसे लिखें | ग़ज़ल लिखना सीखें

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पिछले ब्लॉग में हम ने उर्दू काव्य शास्त्र से संबंधित कुछ बुनियादी शब्दों को जाना; अब मैं ये मान के चलता हूँ कि पिछले पाठ में सिखाई बुनियादी बातों को आप समझ चुके हैं। तो आगे बढ़ते हुए मैं आज ‘ग़ज़ल’ और ‘बहर’ पर चर्चा करूँगा, तो चलिए देखते हैं ‘ग़ज़ल’ क्या है और इसमें ‘बहर’ के क्या मायने हैं– “एक ही बहर, रदीफ़ और हम-क़ाफ़िया के साथ लिखे अश'आर (शेर का बहुवचन) का समूह ही ग़ज़ल है।” *रदीफ़ और क़ाफ़िया को हम पिछले पाठ में समझ चुके हैं। *बहर को समझने के लिए चलिए पहले ग़ज़ल से जुड़ी कुछ बुनियादी बातें/शर्तें  देख लेते हैं जिन्हें तरतीब से मिलाकर ग़ज़ल तैयार होती है– 1.) मतला : ये ग़ज़ल का पहला शेर होता है। इसकी ख़ासियत ये है कि इसके दोनों मिसरों(दोनों पंक्तियों) में रदीफ़ और क़ाफ़िया होता है। ‘मतला’ के बाद आने वाले सभी शेर में सिर्फ दूसरी पंक्ति में ही रदीफ़ और क़ाफ़िया होते हैं। उदाहरण से समझें– मैं चाहता हूँ कि दिल में तिरा ख़याल न हो अजब नहीं कि मिरी ज़िंदगी वबाल न हो मैं चाहता हूँ तू यक-दम ही छोड़ जाए मुझे ये हर घड़ी तिरे जाने का एहतिमाल न हो शायर : जव्वाद शैख *इसमें "न हो"...

'गबन' उपन्यास का प्रमुख प्रतिपाद्य | पात्र | चरित्र-चित्रण | भाषा-शैली | समस्या | गबन उपन्यास की समीक्षा | Gaban overall review | Lekhak Suyash

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 'गबन' उपन्यास का प्रमुख प्रतिपाद्य एक सुव्यवस्थित एवं उत्तम लेख का प्रारम्भ तो मुख्य विषय की मूलभूत प्रस्तावना से ही होना चाहिए मैं इस बात से भली भांति अवगत हूँ । किन्तु यदि बात प्रेमचंद जी की हो तो मुझे ऐसा लगता है कि किसी परिचय और प्रस्तावना की आवश्यकता नहीं है। बस यही समझते हुए मैं सीधे अपने लेख के शीर्षक/विषय पर आता हूँ, अर्थात् 'ग़बन' के प्रमुख प्रतिपाद्य पर। अत्यधिक रोचक विषय है "प्रतिपाद्य" और उससे भी खूब "ग़बन का प्रतिपाद्य' ; 'निर्मला' के बाद 'ग़बन'  प्रेमचंद का दूसरा यथार्थवादी उपन्यास है। जहाँ तक मुझे समझ आता है "ग़बन" , "निर्मला" की विकास की ही एक दूसरी कड़ी है। 'ग़बन' का एक साधारण सा और सीधे से शब्दों में मूल विषय 'महिलाओं का पति के जीवन पर प्रभाव' है। 'ग़बन' प्रेमचंद के एक विशेष चिन्ताकुल विषय से सम्बन्धित है। "गबन" में टूटते मूल्यों के अंधेरे में भटकते मध्यवर्ग का वास्तविक एवं मार्मिक चित्रण किया गया है। उपन्यास में मूल रूप से नारी समस्या को व्यापक भारतीय ...