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Showing posts from October, 2020

ग़ज़ल कैसे लिखते हैं? – सबक २ | ग़ज़ल कैसे लिखें | ग़ज़ल लिखना सीखें

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पिछले ब्लॉग में हम ने उर्दू काव्य शास्त्र से संबंधित कुछ बुनियादी शब्दों को जाना; अब मैं ये मान के चलता हूँ कि पिछले पाठ में सिखाई बुनियादी बातों को आप समझ चुके हैं। तो आगे बढ़ते हुए मैं आज ‘ग़ज़ल’ और ‘बहर’ पर चर्चा करूँगा, तो चलिए देखते हैं ‘ग़ज़ल’ क्या है और इसमें ‘बहर’ के क्या मायने हैं– “एक ही बहर, रदीफ़ और हम-क़ाफ़िया के साथ लिखे अश'आर (शेर का बहुवचन) का समूह ही ग़ज़ल है।” *रदीफ़ और क़ाफ़िया को हम पिछले पाठ में समझ चुके हैं। *बहर को समझने के लिए चलिए पहले ग़ज़ल से जुड़ी कुछ बुनियादी बातें/शर्तें  देख लेते हैं जिन्हें तरतीब से मिलाकर ग़ज़ल तैयार होती है– 1.) मतला : ये ग़ज़ल का पहला शेर होता है। इसकी ख़ासियत ये है कि इसके दोनों मिसरों(दोनों पंक्तियों) में रदीफ़ और क़ाफ़िया होता है। ‘मतला’ के बाद आने वाले सभी शेर में सिर्फ दूसरी पंक्ति में ही रदीफ़ और क़ाफ़िया होते हैं। उदाहरण से समझें– मैं चाहता हूँ कि दिल में तिरा ख़याल न हो अजब नहीं कि मिरी ज़िंदगी वबाल न हो मैं चाहता हूँ तू यक-दम ही छोड़ जाए मुझे ये हर घड़ी तिरे जाने का एहतिमाल न हो शायर : जव्वाद शैख *इसमें "न हो"...

Neelami Bazar | नीलामी बाज़ार | Lekhak Suyash

नीलामी बाज़ार हवाओं का दम घुट रहा है  इस नीलामी बाज़ार में ,  कहीं मजबूरी बिक रही है  कहीं मानवता है दुकान में ,  हवाओं का दम घुट रहा है  इस नीलामी बाज़ार में ।  नदियाँ भी प्यासी हैं अब तक  इस स्वार्थी संसार में ,  मित्रता भी बिक रही है  इस लालच के बाज़ार में ,  हवाओं का दम घुट रहा है  इस नीलामी बाज़ार में ।  रोशनी भी भटक रही है  उजाले की तलाश में ,  शिक्षा की हत्या हो रही है  इस व्यापारी संसार में ,  हवाओं का दम घुट रहा है  इस नीलामी बाज़ार में ।                 --- Lekhak Suyash  #Poetry_Of_Suyash                                                                              Follow me on Instagram   Follow me on Twitter   Listen "Neelami Bazar" on YouTube